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Wednesday, October 8, 2014

मेरा शहर एक लम्बी बहस की तरह है

मेरा शहर एक लम्बी बहस की तरह है
सड़कें - बेतुकी दलीलों सी…
और गलियां इस तरह
जैसे एक बात को कोई इधर घसीटता
कोई उधर
हर मकान एक मुट्ठी सा भिंचा हुआ
दीवारें-किचकिचाती सी
और नालियां, ज्यों मूंह से झाग बहती है

यह बहस जाने सूरज से शुरू हुई थी
जो उसे देख कर यह और गरमाती
और हर द्वार के मूंह से
फिर साईकिलों और स्कूटरों के पहिये
गालियों की तरह निकलते
और घंटियां हार्न एक दूसरे पर झपटते
जो भी बच्चा इस शहर में जनमता
पूछता कि किस बात पर यह बहस हो रही?

फिर उसका प्रश्न ही एक बहस बनता
बहस से निकलता, बहस में मिलता…
शंख घंटों के सांस सूखते
रात आती, फिर टपकती और चली जाती
पर नींद में भी बहस खतम न होती
मेरा शहर एक लम्बी बहस की तरह है…

- अमृता प्रीतम 

Wednesday, June 11, 2014

उनकी महफ़िल का आलम

नशा है उनकी आँखों का
पीने का बहाना करते हैं

मरने की तमन्ना है उन पर
जीने का बहाना करते हैं

देख के मेरा जख्मे जिगर
वो चैन की साँसें लेते हैं

छाई है ख़ुशी उनके दिल में
ग़म का बहाना करते हैं

उनकी महफ़िल का आलम
यारो मत पूछो, क्या कहना
दिल करता है कुछ रुकने को
हम जाने का बहाना करते हैं

आशिक तेरा कोई घर है न दर
ये सोच के वो मुड़ जाते हैं

रखने के लिए बस दिल तेरा
आने का बहाना करते हैं

- 'कशिश'

04.09.99

Sunday, June 8, 2014

मेरे हमसफ़र मेरे साथ

मेरे हमसफ़र मेरे साथ
तुम सभी मौसमों में रहा करो
कभी नदी बनकर बहा करो
कभी बूँद बनके गिरा करो

मेरे पास आओ जो तुम कभी
कहीं धूप हो कहीं छाँव हो
अभी आरजू बहुत है
कभी गेसुओं में समां करो

तुम्हें फायदे हैं बहुत मगर
उनको रखना प्यार से सम्हाल के
कोई भी यदि आ जाए
मान उसका बढ़ाना तुम बहुत

- नमालूम

Thursday, June 5, 2014

सुबह वीरान है रौशनी जब नहीं

शहर में गाँव में धूप में छाँव में
खुद को रोका बहुत फिर भी सोचा बहुत
ज़िन्दगी कौन है बंदगी कौन है
 बस तुम्हारा शबाब दे रहा है जवाब
ज़िन्दगी हो तुम्हीं बंदगी हो तुम्हीं

एक शहजादी है नाम है शायरी
उसकी महफिल में है हर तरफ दिलकशी
शे'र सुनते रहे फिर भी उलझे रहे
शायरी कौन है दिलकशी कौन है
बस तुम्हारा शबाब दे रहा है जवाब
शायरी हो तुम्हीं दिलकशी हो तुम्हीं

सुबह वीरान है रौशनी जब नहीं
रात वीरान है चांदनी जब नहीं
हमको सबकी खबर दिल ने रोका मगर
रौशनी कौन है चांदनी कौन है
बस तुम्हारा शबाब दे रहा है जवाब
रौशनी हो तुम्हीं चांदनी हो तुम्हीं

- नमालूम

16.07.99

Tuesday, June 3, 2014

भारतीय टीम का 17 वर्ष बाद पाकिस्तान जाने पर जोरदार स्वागत - 1978

सत्रह वर्षों बाद क्रिकेट की टीम यहाँ भारत से आई
भूली- बिसरी यादों ने ली दोनों ओर ही अंगड़ाई
कुछ प्रेम की चोटें मारेंगे , कुछ प्यार की गेंदें फेकेंगे
कुछ पास के जलवे लूटेंगे , कुछ दूर से आँखें सेकेंगे

यह प्रीत का चौका मारेगा , वह भी छक्का मारेगा
जो हारेगा वह जीतेगा , जो जीतेगा वह हारेगा
यह तेजी से दिल फेकेंगा , वह कड़ी चोट लगाएगा
मचलेगा, दिल धड़केगा, और कैच वही हो जायेगा

पीछे रक्षक जो होगा, वह बेखूबी से दिल पकड़ेगा
मुट्ठी में जब दिल आएगा , वह सीधा होकर अकड़ेगा
दिल को जो घुमाकर छोड़ेगा या जो उसे नचाएगा
वह अच्छे खासे दिलवर को , चक्कर में खूब फँसाएगा

खेल ही सारा प्रेम का है , खेल ही सारा प्यार का है
खेल मियां कोई खेल नहीं , खेल बड़े किरदार का है
मेहमान हो तुम सर आँखों पर तुमसे बड़ी उम्मीद हमें
वैसे भी महीना ईद का है, आना भी तुम्हारा ईद हमें

मैदान में आओ मिलजुलकर , मैदान का लावाजार करें
इस खेल में फूंकें जान नयी , ऊंचा इसका मेयार करें
हम सारे प्रेम पुजारी हैं , उल्फत के शैदाई हैं
मैदान-दिलों का संगम है , हम-तुम सब भाई-भाई हैं

जो हार तुम्हें पहनाएं हम, सीनों पर सजाना
है सज्जनो
मैदान में हारो या जीतो, दिल जीत के जाना
है सज्जनो !!

- डॉ . सैयद इनाम हसन 'शरीफ'

सपनों की रानी

गोरी गोरी नाजुक बाहें
फूलों की लचकीली शाखें
खिलता चेहरा हंसती आँखें
महफ़िल महफ़िल तेरी बातें

एक क़यामत तेरी जवानी
अए मेरे सपनों की रानी

होंठ गुलाबी तीखे चितवन
जिस्म है महका महका चन्दन
चढ़ती नदिया तोरा जोवन
दिल तुझको करता हूँ अर्पन

प्यार की देवी रूप की रानी
अए मेरे सपनों की रानी

बात करे तो गुल बरसाए
हर दिल पर बिजली लहराए
आँखों से  मदिरा छलकाए
जो भी देखे होश गंवाए

तन शीशा मखमूर जवानी
अए मेरे सपनों की रानी

प्यारा प्यारा रूप सलोना
कंचन कंचन जिस्म कुंआरा
जोश जवानी उभरा सीना
लहराती बलखाती कमरिया

तीर से जैसे कसती कमानी
अए मेरे सपनों की रानी

रात ने अपना रंग बिखेरा
हर जानिब है घोर अँधेरा
रूप कुमारी रूप ये तेरा
लूट न जाए कोई लुटेरा

तू भोली मासूम अनजानी
अए मेरे सपनों की रानी

- नमालूम
13.05.99

गुजरा हुआ ज़माना आता नहीं दुबारा

गुजरा हुआ ज़माना आता नहीं दुबारा , हाफ़िज़ ख़ुदा तुम्हारा
रहते थे तुम हमेशा आँखों में प्यार बनकर

मेरी नज़र में झूमे खुशियाँ हजार बनकर
अब भूल जाओ वो वक़्त इक साथ जो गुजारा , हाफ़िज़ ख़ुदा तुम्हारा

तुमको कसम है मेरी मुझको न याद करना
गुजरे दिनों की खातिर आहें न सर्द भरना
अपना मिलन था जैसे रोशन सुबह सितारा , हाफ़िज़ ख़ुदा तुम्हारा

मिलते जो हम ख़ुशी से जलता था ये ज़माना
रोएगी अब मुहब्बत बदला है ये ज़माना
लूटा चमन इसी ने जो तह पासबाँ हमारा , हाफ़िज़ ख़ुदा तुम्हारा

तुमने मुझे मिटाया ताबीर ख्वाब बनकर
मेरी विसात अब क्या नफ्से हबाब बनकर
न काम है ये कोशिश हँसना ये अब तुम्हारा , हाफ़िज़ ख़ुदा तुम्हारा

मैंने राजे दिल सुनाया तुम्हें राजदां समझकर
तूफां से दिल लगाया तुम्हें नखुदा समझकर
डूबी मेरी को कश्ती , नहीं दूर था किनारा , हाफ़िज़ ख़ुदा तुम्हारा

उल्फत से जिसको हरदम न आशना ही पाया
फिर भी 'जलील' तुम ने अपना उसे बनाया
रुसवा क्या तुम्हीं ने देकर फरेब प्यारा, हाफ़िज़ ख़ुदा तुम्हारा


जिसको दुनिया की निगाहों से छुपाये रखा

जिसको दुनिया की निगाहों से छुपाये रखा
जिनको एक उम्र कलेजे से लगाये रखा

दीन जिनको, जिन्हें ईमान बनाये रखा
तूने दुनिया की निगाहों से जो बचकर लिखे

साल दर साल मेरे नाम बराबर लिखे
कभी दिन में कभी रात में उठकर लिखे

तेरी खुशबू में बसे ख़त मैं जलाता कैसे
प्यार में डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे

तेरे हाथों से लिखे ख़त मैं जलाता कैसे
तेरे ख़त आज मैं गंगा में बहा आया हूँ
आग बहते हुए पानी में लगा आया हूँ

- नमालूम