Tuesday, June 3, 2014

गुजरा हुआ ज़माना आता नहीं दुबारा

गुजरा हुआ ज़माना आता नहीं दुबारा , हाफ़िज़ ख़ुदा तुम्हारा
रहते थे तुम हमेशा आँखों में प्यार बनकर

मेरी नज़र में झूमे खुशियाँ हजार बनकर
अब भूल जाओ वो वक़्त इक साथ जो गुजारा , हाफ़िज़ ख़ुदा तुम्हारा

तुमको कसम है मेरी मुझको न याद करना
गुजरे दिनों की खातिर आहें न सर्द भरना
अपना मिलन था जैसे रोशन सुबह सितारा , हाफ़िज़ ख़ुदा तुम्हारा

मिलते जो हम ख़ुशी से जलता था ये ज़माना
रोएगी अब मुहब्बत बदला है ये ज़माना
लूटा चमन इसी ने जो तह पासबाँ हमारा , हाफ़िज़ ख़ुदा तुम्हारा

तुमने मुझे मिटाया ताबीर ख्वाब बनकर
मेरी विसात अब क्या नफ्से हबाब बनकर
न काम है ये कोशिश हँसना ये अब तुम्हारा , हाफ़िज़ ख़ुदा तुम्हारा

मैंने राजे दिल सुनाया तुम्हें राजदां समझकर
तूफां से दिल लगाया तुम्हें नखुदा समझकर
डूबी मेरी को कश्ती , नहीं दूर था किनारा , हाफ़िज़ ख़ुदा तुम्हारा

उल्फत से जिसको हरदम न आशना ही पाया
फिर भी 'जलील' तुम ने अपना उसे बनाया
रुसवा क्या तुम्हीं ने देकर फरेब प्यारा, हाफ़िज़ ख़ुदा तुम्हारा