जिसको दुनिया की निगाहों से छुपाये रखा
जिनको एक उम्र कलेजे से लगाये रखा
दीन जिनको, जिन्हें ईमान बनाये रखा
तूने दुनिया की निगाहों से जो बचकर लिखे
साल दर साल मेरे नाम बराबर लिखे
कभी दिन में कभी रात में उठकर लिखे
तेरी खुशबू में बसे ख़त मैं जलाता कैसे
प्यार में डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे
तेरे हाथों से लिखे ख़त मैं जलाता कैसे
तेरे ख़त आज मैं गंगा में बहा आया हूँ
आग बहते हुए पानी में लगा आया हूँ
- नमालूम
जिनको एक उम्र कलेजे से लगाये रखा
दीन जिनको, जिन्हें ईमान बनाये रखा
तूने दुनिया की निगाहों से जो बचकर लिखे
साल दर साल मेरे नाम बराबर लिखे
कभी दिन में कभी रात में उठकर लिखे
तेरी खुशबू में बसे ख़त मैं जलाता कैसे
प्यार में डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे
तेरे हाथों से लिखे ख़त मैं जलाता कैसे
तेरे ख़त आज मैं गंगा में बहा आया हूँ
आग बहते हुए पानी में लगा आया हूँ
- नमालूम