सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुले हैं इसके ये गुलसितां हमारा
पर्वत हैं इसके ऊंचे, प्यारी हैं इसकी नदियाँ
आगोश में इसी के गुजरी हजारों सदियाँ
हँसता है बिजलियों पर ये आशियाँ हमारा
वीरान कर दिया था आंधी ने इस चमन को
देकर लहू बचाया गांधी ने इस चमन को
रक्षा करेगा इसकी हर नौजवां हमारा
- इक़बाल
हम बुलबुले हैं इसके ये गुलसितां हमारा
पर्वत हैं इसके ऊंचे, प्यारी हैं इसकी नदियाँ
आगोश में इसी के गुजरी हजारों सदियाँ
हँसता है बिजलियों पर ये आशियाँ हमारा
वीरान कर दिया था आंधी ने इस चमन को
देकर लहू बचाया गांधी ने इस चमन को
रक्षा करेगा इसकी हर नौजवां हमारा
- इक़बाल