Saturday, May 31, 2014

रात है

आज सकुचाने की नहीं
शर्माने की नहीं
लजाने की नहीं
आज तो
हंसने हंसाने की रात है

चाँद को  मुक्त कर दो
घूंघट से
आज तो
चांदनी में नहीं की रात है

रीता रूप
कंचन काया
केश यौवन
और कितना तरसाओगी
आज तो
रस बरसाने की रात है

दिल को धड़कने दो
जोरों से
भावनाओं को मचलने दो
अधरों को भी मत टोको
आज तो बांहों में
अमृत पिलाने की रात  है

- नमालूम