मेरे भी ग़म किसी से कम नहीं हैं
मगर रोने का ये मौसम नहीं है
मेरे जख्मों को जो थोड़ा सा भर दे
यहाँ ऐसा कोई मरहम नहीं है
तड़पते देखा है मौजों को जबसे
बिछड़ने का किसी से ग़म नहीं है
- नमालूम
मगर रोने का ये मौसम नहीं है
मेरे जख्मों को जो थोड़ा सा भर दे
यहाँ ऐसा कोई मरहम नहीं है
तड़पते देखा है मौजों को जबसे
बिछड़ने का किसी से ग़म नहीं है
- नमालूम