मैं दिखावा कभी नहीं करता
वैसे दिख जाये तो क्या कीजै
यों मुझे रोकथाम भाती है
पर तबियत भी भला क्या तोड़ें
मैंने बैसाख जेठ का सूरज
दोपहर बन के झेल डाला है
अब अगर छांव प् गया हूँ तो
उसकी ममता किस तरह छोड़ूँ
- गोपेश
वैसे दिख जाये तो क्या कीजै
यों मुझे रोकथाम भाती है
पर तबियत भी भला क्या तोड़ें
मैंने बैसाख जेठ का सूरज
दोपहर बन के झेल डाला है
अब अगर छांव प् गया हूँ तो
उसकी ममता किस तरह छोड़ूँ
- गोपेश