मेरा जीवन कोरा कागज़ कोरा ही रह गया
जो लिखा था आसुंओं के संग बह गया
इक हवा का झोंका आया टूटा डाली से फूल
न पवन की न चमन की किसकी है ये भूल
खो गयी खुशबू हवा में कुछ न रह गया
उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहाँ
न डगर है न खबर है जाना है मुझको कहाँ
बन के सपना, हम सफ़र का साथ रह गया
एम. जी. हसमत
जो लिखा था आसुंओं के संग बह गया
इक हवा का झोंका आया टूटा डाली से फूल
न पवन की न चमन की किसकी है ये भूल
खो गयी खुशबू हवा में कुछ न रह गया
उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहाँ
न डगर है न खबर है जाना है मुझको कहाँ
बन के सपना, हम सफ़र का साथ रह गया
एम. जी. हसमत