Wednesday, May 21, 2014

मेरा जीवन

मेरा जीवन कोरा कागज़ कोरा ही रह गया
जो लिखा था आसुंओं के संग बह गया

इक हवा का झोंका आया टूटा डाली से फूल
न पवन की न चमन की किसकी है ये भूल
खो गयी खुशबू हवा में कुछ न रह गया

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहाँ
न डगर है न खबर है जाना है मुझको कहाँ
बन के सपना, हम सफ़र का साथ रह गया

एम. जी. हसमत