रस्म मुहब्बत कि हम इस तरह निभाएंगे
तुझे याद करके हम खुद को भूल जायेंगे
बात वो मतलब कि खुद वो समझ लेंगे
हम कहाँ -कहाँ उनको आईना दिखायेंगे
रोटियां मुश्किल हैं जिन गरीब लोगों को
डोलियाँ वो बेटी कि किस तरह सजायेंगे
या ख़ुदा गरीबों को बेटियां न तुम देना
वरना पैसे वाले फिर इक बहू जलाएंगे
- वैभव वर्मा
तुझे याद करके हम खुद को भूल जायेंगे
बात वो मतलब कि खुद वो समझ लेंगे
हम कहाँ -कहाँ उनको आईना दिखायेंगे
रोटियां मुश्किल हैं जिन गरीब लोगों को
डोलियाँ वो बेटी कि किस तरह सजायेंगे
या ख़ुदा गरीबों को बेटियां न तुम देना
वरना पैसे वाले फिर इक बहू जलाएंगे
- वैभव वर्मा