Sunday, May 18, 2014

स्मृतियों के बादल

जैसे बादल बनाते हैं आकाश पर
तरह-तरह की आकृतियाँ
मेरे मन के आकाश पर वैसे ही
छायीं हैं तुम्हारी स्मृतियाँ
इनकी छुवन से याद आते हैं मुझे
तुम्हारे साथ गुजारे लम्हे
तुम्हार मुस्कुराना, रूठ जान, खिलखिलाना-

बादल जल भरे - स्मृतियाँ आंसू भरी
दोनों बरसते हैं बनकर सावन
भीगा मन
अंजाने भर आये नयन
तुम बिन मेरा जीवन
जेठ कि कोई दोपहर
तुमसे बिछड़ी मेरी आत्मा
सागर से बिछड़ी कोई लहर

तुम बिन मैं-
किसी पक्षी का टूटा पर
जाने किन-किन यातनाओं से गुज़र जाता हूँ मैं
तैरते हैं जब मेरे मन के आकाश पर
तुम्हारी स्मृतियों के बादल !

- नमालूम