Saturday, May 31, 2014

सत्रहवां सावन

तेरे जीवन का सत्रहवां सावन
कितना सुन्दर कितना पावन

तेरे रूप में आया निखार
जब आई इस सावन की फुहार

तेरी सूरत कितनी भोली
लगती जैसे नशे की गोली

जब बजते तेरे पायल
कर देते मेरे दिल को घायल

किस से पाई है तुमने ये दौलत
सब है इस सावन की बदौलत

यह सावन हमेशा बना रहे
तेरा रूप हमेशा खिला रहे

- नमालूम
10.05.99