Thursday, May 15, 2014

अकेले बढ़ो तुम

न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम
सफलता तुम्हारे क़दम चूम लेगी
सदा जो जगाये बिना ही जगा है
अँधेरे उसे देखकर ही भगा है

वह बीज पनपा पनपना जिसे था
घुन क्या किसी के उगाये उगा है
अगर उग सको तो उगो सूर्य से तुम
प्रखरता तुम्हारे चरण चूम लेगी

सही राह को छोड़ कर जो मुड़े हैं
वही देखकर दूसरों को कुढ़े हैं
बिना पंख तौले उड़े जो गगन में
न सम्बन्ध उनके गगन से जुड़े हैं

अगर बन सको तो पखेरू बनो तुम
प्रखरता तुम्हारे क़दम चूम लेगी
न जो वर्फ कि आँधियों से लड़ हैं
कभी पग न उनके शिखर पे पड़े हैं

जिन्हें लक्ष्य से कम, अधिक प्यार खुद से
वही जी चुराकर तरसते खड़े हैं

अगर जी सको तो जियो झूम कर तुम
अमरता तुम्हारे क़दम चूम लेगी
न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम
सफलता तुम्हारे  क़दम चूम लेगी. ..
24.04.99