सपनों के मानचित्र
अपनों ने फाड़ दिए
यादों के ढेर पर रह गयी
काग़ज़ के टुकड़े सी ज़िन्दगी
बंधन के मरू-थल में
चंचल हरियाली सी
सुधियों के सावन में
बनती मेघाली सी
हल्की सी भारी सी
झोंके हर मौसम के
आंसू के आखर में सह गयी
काग़ज़ के टुकड़े सी ज़िन्दगी
मन के अंधियारे में
आशाएं फूटी हैं
बुनियादें जीवित हैं
दीवारें टूटी हैं
चन्दन की घाटी में
विषधर भी होते हैं
चुपके से सच्चाई कह गयी
काग़ज़ के टुकड़े सी ज़िन्दगी
पीछे से दूषित है
आगे से दर्पण है
हँसना क्या रोना क्या
सुख-दुःख ही जीवन है
फूलों की गलियों में
कांटे भी होते हैं
शावों की धार में बह गयी
काग़ज़ के टुकड़े सी ज़िन्दगी
- हरिलाल
10.05.99
अपनों ने फाड़ दिए
यादों के ढेर पर रह गयी
काग़ज़ के टुकड़े सी ज़िन्दगी
बंधन के मरू-थल में
चंचल हरियाली सी
सुधियों के सावन में
बनती मेघाली सी
हल्की सी भारी सी
झोंके हर मौसम के
आंसू के आखर में सह गयी
काग़ज़ के टुकड़े सी ज़िन्दगी
मन के अंधियारे में
आशाएं फूटी हैं
बुनियादें जीवित हैं
दीवारें टूटी हैं
चन्दन की घाटी में
विषधर भी होते हैं
चुपके से सच्चाई कह गयी
काग़ज़ के टुकड़े सी ज़िन्दगी
पीछे से दूषित है
आगे से दर्पण है
हँसना क्या रोना क्या
सुख-दुःख ही जीवन है
फूलों की गलियों में
कांटे भी होते हैं
शावों की धार में बह गयी
काग़ज़ के टुकड़े सी ज़िन्दगी
- हरिलाल
10.05.99