ज़िन्दगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
है ये कैसी डगर चलते हैं सब मगर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
ज़िन्दगी को बहुत प्यार हमने दिया
मौत से भी मुहब्बत निभाएंगे हम
रोते-रोते ज़माने में आये मगर
हँसते-हँसते ज़माने से जायेंगे हम
जायेंगे पर किधर है किसे ये खबर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
ऐसे जीवन में है जो जिए ही नहीं
ऐसे जीने से पहले मौत आ गयी
फूल ऐसे भी हैं जो खिले ही नहीं
जिनके खिलने से पहले खिजां आ गयी
है परेशां ये मन थक गए पाँव मगर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
- इन्दीवर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
है ये कैसी डगर चलते हैं सब मगर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
ज़िन्दगी को बहुत प्यार हमने दिया
मौत से भी मुहब्बत निभाएंगे हम
रोते-रोते ज़माने में आये मगर
हँसते-हँसते ज़माने से जायेंगे हम
जायेंगे पर किधर है किसे ये खबर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
ऐसे जीवन में है जो जिए ही नहीं
ऐसे जीने से पहले मौत आ गयी
फूल ऐसे भी हैं जो खिले ही नहीं
जिनके खिलने से पहले खिजां आ गयी
है परेशां ये मन थक गए पाँव मगर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
- इन्दीवर