पेड़ में बस पत्तियां थीं फल नहीं थे
इसलिए तोते यहाँ पर कल नहीं थे
हम अकेले ही चले थे नाव लेकर
हंसने वाले थे बहुत संबल नहीं थे
खेत सूखे थे मगर जोते हुए थे
पर उमड़ते बादलों के दल नहीं थे
आ गए फिर लौटकर जब स्वागतम है
तुम नहीं थे, आज वाले पल नहीं थे
कल कुहासा था, अँधेरा था, दिए थे
पूर्णिमा के पल्लवी शतदल नहीं थे
आज उनके द्वारा तोरण से सजे हैं
जिनके तन पर कल यहाँ वल्कल नहीं थे
- नमालूम
इसलिए तोते यहाँ पर कल नहीं थे
हम अकेले ही चले थे नाव लेकर
हंसने वाले थे बहुत संबल नहीं थे
खेत सूखे थे मगर जोते हुए थे
पर उमड़ते बादलों के दल नहीं थे
आ गए फिर लौटकर जब स्वागतम है
तुम नहीं थे, आज वाले पल नहीं थे
कल कुहासा था, अँधेरा था, दिए थे
पूर्णिमा के पल्लवी शतदल नहीं थे
आज उनके द्वारा तोरण से सजे हैं
जिनके तन पर कल यहाँ वल्कल नहीं थे
- नमालूम