जिन्हें हम भूलना चाहें वो अक्सर याद आते हैं
बुरा हो इस मुहब्बत का वो क्यों कर याद आते हैं
भुलाएँ किस तरह उनको कभी पी थी उन आँखों से
छलक जाते हैं जब आंसू वो सागर याद आते हैं
किसी के सुर्ख लब थे या दिये की लौ मचलती थी
जहाँ की थी कभी पूजा वो मंदिर याद आते हैं
रहे ऐ शम्मा तू रोशन दुआ देता है है परवाना
जिन्हें किस्मत में जलना है वो जलकर याद आते हैं
- नमालूम
बुरा हो इस मुहब्बत का वो क्यों कर याद आते हैं
भुलाएँ किस तरह उनको कभी पी थी उन आँखों से
छलक जाते हैं जब आंसू वो सागर याद आते हैं
किसी के सुर्ख लब थे या दिये की लौ मचलती थी
जहाँ की थी कभी पूजा वो मंदिर याद आते हैं
रहे ऐ शम्मा तू रोशन दुआ देता है है परवाना
जिन्हें किस्मत में जलना है वो जलकर याद आते हैं
- नमालूम