Thursday, June 5, 2014

आजकल याद नहीं कुछ भी रहता मुझको

आजकल याद नहीं कुछ भी रहता मुझको
एक बस तेरा ही ख्याल है मुझको

दूर अब तुझसे रहेंगे तो मर ही जायेंगे
हर घड़ी तेरे ही आने का है एतवार मुझको

आ तेरे सोने को सपने बुने मैंने
और मांगी है दुआएं कि वो मिले मुझको

ख़ुदा करे कि वो इतने करीब आ जाएँ
कि डर न तुझसे बिछड़ने का फिर रहे मुझको

- नमालूम