Sunday, June 1, 2014

याद

एक बात पूछूं
तुम्हें कभी याद आते हैं
वे पल, वे बीते पल
जिनमें कभी हमने समय के सीने पर
कहानियां लिखी थीं एक दूसरे के चाहत की

********************************

जब कभी कोयल कूकती है
अगराईयों में
क्या तुम भी याद करती हो
उन लम्हों को
उन गुजरे लम्हों को
जब तुम्हारा चेहरा
मेरी हथेलियों में होता था
और
तुम भटकती जाती थी
दूर कहीं दूर

*************************

मुझे अपने करीब पाकर
नज़रों का झुक जाना
सासों का बहक जाना
और
अपने थरथराते होठों की
तुम्हें कुछ याद आती है ?

****************************

क्या कभी चुभती है
तुम्हारे सीने में
उन टूटे सपनों की किरण
जिन्हें कभी सजाया था हमने
एक दूसरे की खुली हथेलियों पर
अपने होठों की तुलिका से खामोश
ठहरे हुए पलों में ?

- नमालूम