Sunday, June 1, 2014

मेरी खूने ज़िन्दगी को वो समझ रहे थे पानी

मेरी खूने ज़िन्दगी को वो समझ रहे थे पानी
उन्हें होश तक न आया मेरी मिट गयी जवानी

मैंने पहले ही कहा था , दिल का लगाना कैसा
मेरे दिल के आईने में तस्वीर है तुम्हारी

ये शहर के मेरे बादल रौशनी ही बन चले थे
मुस्करा भी हम न पाए, कि आंसू छलक ही आये

- नमालूम
11.05.99