Sunday, June 1, 2014

नारी सभा में चल दिए

एक दिन एक सफ़ेद पोश नारी सभा में आया
नारियों के शोषण से सम्बंधित खूब लेक्चर फरमाया

बोले वो कि नारी तो सारे संसार की जननी है
और उसी संसार के जुल्मों से उसका कलेजा छलनी है

अब समाज कल्याण के तहत हमको ये कराना है
अब औरत को समता का अधिकार दिलाना है

ख़त्म कर अपना लेक्चर वो अपने घर को आये
आकर घर इंतज़ार किया कि जल्दी दिन ढल जाये

शाम ढलते ही रात हुयी कुछ उनके नुमाइंदे आये
रात रंगीन करने के लिए वो नायाब तोहफा लाये

तोहफे में भी एक लाचार और  बेबस नारी
जो सुबह इन्हीं की नारी सभा में बैठी थी बेचारी

वो बोले उससे हमें खुश कर दो रानी
अरे रातों रात बना दूंगा मैं तुम्हें महारानी

हाथ जोड़े पाँव छुए उसने , पर कोई हथकंडे न चल पाए
लूटकर उसका सतीत्व वो मन ही मन मुस्काए

रात ढली वो  काली फिर एक नयी सुबह आई
नींद से जागे जब वो तो फोन की घंटी घनघनाई

खबर थी कि आज उनको एक समाज कल्याण कराना है
किसी नारी सभा में फिर अपना लेक्चर सुनाना है

रात की घटना सोचकर वो में में बड़ा खुश हुए
नहा - धो और नाश्ता कर फिर नारी सभा में चल दिए

- नमालूम