मेरा दिल कांच का टुकड़ा नहीं जो टूट जायेगा
समन्दर है कोई दरिया नहीं जो सूख जायेगा
सब कुछ भूलकर तुमको गले से फिर लगा लें हम
किसी का क्या पता कोई कहाँ पे छूट जायेगा
बहुर मायूस होकर दिल सरे बाज़ार रख आये
कोई दिल लूटने वाला लुटेरा लूट जायेगा
फकत इतना कहा था हमने उससे तुम बड़े वो हो
खबर क्या थी कि इतनी बात पे वो रूठ जायेगा
वहीँ पे जख्म है , देखो दिया था जो तुमने
हमें लगता है, ये नासूर बनकर फूट जायेगा
- 'कशिश'
समन्दर है कोई दरिया नहीं जो सूख जायेगा
सब कुछ भूलकर तुमको गले से फिर लगा लें हम
किसी का क्या पता कोई कहाँ पे छूट जायेगा
बहुर मायूस होकर दिल सरे बाज़ार रख आये
कोई दिल लूटने वाला लुटेरा लूट जायेगा
फकत इतना कहा था हमने उससे तुम बड़े वो हो
खबर क्या थी कि इतनी बात पे वो रूठ जायेगा
वहीँ पे जख्म है , देखो दिया था जो तुमने
हमें लगता है, ये नासूर बनकर फूट जायेगा
- 'कशिश'