प्रत्येक नारी बातें करते-करते कई बातें छिपा जाती जाती है. वह जीवन में सभी कुछ सम्पूर्ण चाहती है , पर बातों को वह अपूर्ण ही छोड़ती है. मैंने उसके चेहरे की ओर देखा था. उस पर शांति थी, कोई चिंता, कोई उत्कंठा न थी. दूसरे के मन में तृष्णा जगाकर दूर पे जाने में नारी को आनंद मिलता है
- नमालूम
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