पत्थर के ख़ुदा पत्थर के सनम
पत्थर के ही इंसान पाए हैं
तुम शहरे मुहब्बत कहते हो
हम जान बचा के आये हैं
बुतखाना समझते हो जिसको
पूछो न वहां क्या हालत है
हम लोग वहीँ से लौटे हैं
बस शुक्र करो लौट आये हैं
तुम शहरे मुहब्बत कहते हो
हम जान बचा के आये हैं
हम सोच रहे हैं मुद्दत से
अब उम्र गुजारें तो कहाँ
सहरा में ख़ुशी के फूल नहीं
शहरों पे ग़मों के साए हैं
होठों पे तबस्सुम हल्का सा
आँखों में नमी सी है कातिल
हम एहले मुहब्बत पर मंज़र
ऐसे ही समाने आये हैं
तुम शहरे मुहब्बत कहते हो
हम जान बचा के आये हैं
पत्थर के ख़ुदा पत्थर के सनम
पत्थर के ही इंसान पाए हैं
तुम शहरे मुहब्बत कहते हो
हम जान बचा के आये हैं
बुतखाना समझते हो जिसको
पूछो न वहां क्या हालत है
हम लोग वहीँ से लौटे हैं
बस शुक्र करो लौट आये हैं
तुम शहरे मुहब्बत कहते हो
हम जान बचा के आये हैं
हम सोच रहे हैं मुद्दत से
अब उम्र गुजारें तो कहाँ
सहरा में ख़ुशी के फूल नहीं
शहरों पे ग़मों के साए हैं
होठों पे तबस्सुम हल्का सा
आँखों में नमी सी है कातिल
हम एहले मुहब्बत पर मंज़र
ऐसे ही समाने आये हैं
तुम शहरे मुहब्बत कहते हो
हम जान बचा के आये हैं
पत्थर के ख़ुदा पत्थर के सनम