Friday, June 6, 2014

बाँट रहा था जब ख़ुदा सारे जहाँ की नैमतें

मैं क्यों दामन को फैलाऊं
मैं क्यों कोई दुआ मांगूं
तुझे जब पा लिया मैंने
ख़ुदा से और क्या मांगूं

बाँट रहा था जब ख़ुदा सारे जहाँ की नैमतें
अपने ख़ुदा से मांग ली मैंने तेरी वफ़ा सनम
मेरी वफ़ा के साज में गूँज रही है लौ तेरी
मैं भी हूँ तेरी जाने जाँ मेरी वफ़ा भी है तेरी

तू जो मिल गया मुझे
चाहिए और क्या सनम

काश मैं अपनी ज़िन्दगी प्यार में यूँ गुजार दूँ
वक़्त पड़े तो दिल के साथ जान भी अपनी वार दूँ
शायद इसी तरह से हो प्यार का हक़ अदा सनम

लोग यहाँ तेरे मेरे प्यार को आजमाएंगे
तुझको अलग सतायेंगे मुझको अलग रुलायेंगे
अपना मगर है फैसला
होंगे न हम जुदा सनम

- नमालूम