वो चांदनी का बदन खुशबुओं का साया है
बहुत अजीज़ हमें है पर पराया है
उतर भी आओ कभी आसमां के सीने से
तुम्हें खुदा ने हमारे लिए बनाया है
उसे किसी की मुहब्बत का एतवार नहीं
उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है
महक रही है जमीं चांदनी के फूलों से
खुदा किसी की मुहब्बत पे मुस्कराया है
- नमालूम
03.09.99
बहुत अजीज़ हमें है पर पराया है
उतर भी आओ कभी आसमां के सीने से
तुम्हें खुदा ने हमारे लिए बनाया है
उसे किसी की मुहब्बत का एतवार नहीं
उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है
महक रही है जमीं चांदनी के फूलों से
खुदा किसी की मुहब्बत पे मुस्कराया है
- नमालूम
03.09.99