रातों को गर न अश्क़ बहाऊं तो क्या करूं
एक पल भी उसको भूल न पाऊं तो क्या करूं
तुम ही तो होगे कि छोड़ दे जब ज़िन्दगी भी साथ
फिर भी मौत को गले न लगाऊं तो क्या करूं
सोचा तो था कि छोड़ दूँ उसकी गली वो मुराद
लेकिन कहीं करार न पाऊं तो क्या करूं
इतना प्यार करते हो कि दिल तो हो गया तुम्हारा
राहों में न दिल को बिछाऊं तो क्या करूं
- नमालूम
एक पल भी उसको भूल न पाऊं तो क्या करूं
तुम ही तो होगे कि छोड़ दे जब ज़िन्दगी भी साथ
फिर भी मौत को गले न लगाऊं तो क्या करूं
सोचा तो था कि छोड़ दूँ उसकी गली वो मुराद
लेकिन कहीं करार न पाऊं तो क्या करूं
इतना प्यार करते हो कि दिल तो हो गया तुम्हारा
राहों में न दिल को बिछाऊं तो क्या करूं
- नमालूम