Friday, June 6, 2014

किसको यारो माफ़ करूँ , किसको कहूँ सजा बोलूं

किसको यारो माफ़ करूँ , किसको कहूँ सजा बोलूं
सब चेहरे इक जैसे हैं , मुश्किल में हूँ क्या बोलूं

वह भी मुझको छलता है ,वह भी मुझको डसता है
जिसके लिए मैं साड़ी उम्र खुशियों भारी दुआ बोलूं

कुछ तो मजबूरी होगी , यूँ दिल भी तड़पा होगा
तुम वाडे से मुकर गए , कैसे इसे खता बोलूं

साजिश रची सियासत ने , नफरत की बारूद उड़ी
यार भी कातिल बन बैठा , कैसी इसे हवा बोलूं

- नमालूम