Sunday, June 8, 2014

नियते शौक भर न जाये कहीं

नियते शौक भर न जाये कहीं
तू भी दिल से उतर न जाये कहीं

आज देखा है तुमको देर के बाद
आज का दिन गुजर न जाए कहीं

न मिला कर उदास लोगों से
हुस्न तेरा बिखर न जाये कहीं

आरजू है कि तू यहाँ आये
और फिर न जाए उम्र भर कहीं

- नमालूम