Tuesday, June 10, 2014

तेरे बिना दिल मेरा इक पल भी नहीं लगता

तेरे बिना दिल मेरा इक पल भी नहीं लगता
आ जाओ हरजाई ग़म मेरा नहीं घटता

कैसे काटूँ कटती नहीं है ग़म की ये काली रातें
याद मुझे है आज जुदाई की बातें
बहता मेरी आँखों का ये दरिया नहीं थमता

राहे वफ़ा में दर्द के हाथों ऐसे मुझे मजबूर न कर
देख मुझे तू नज़रों से अपनी दूर न कर
जीवन का सफ़र तन्हा अब मुझसे नहीं कटता

देख मैं दिल के जख्मों की इस आग में जलता हूँ
भीड़ में ग़म की तन्हा चलता रहता हूँ
बादल ये जफ़ाओं का मेरे सर से नहीं छटता

- नमालूम