Tuesday, June 3, 2014

शाम होने को है

शाम होने को है
लाल सूरज समंदर में खोने को है
और उसके पते
कुछ परिंदे
कतार बनाये
उन्हीं जंगलों को चले
जिनके पेड़ों की शाखों पे हैं घोंसले
ये परिंदे
वहीँ लौटकर जायेंगे
और सो जायेंगे
हम ही हैरां हैं
इन मकानों के जंगल में
अपना कहीं भी ठिकाना नहीं
शाम होने को है
हम कहाँ जायेंगे ..

- नमालूम
12.05.99