राह-ए- हस्ती में साथ छोड़ गया
ग़म से रिश्ता हमारा जोड़ गया
क्यों न दिल उसका होके रह जाए
टूटे रिश्ते को कोई जोड़ गया
उसको अहसास भी नहीं इसका
दिल का आईना भी वो तोड़ गया
फख्र था जिसकी हमराही पे मुझे
दो कदम चलके , साथ छोड़ गया
उसका अहसानमंद हूँ 'अंदाज'
अपनी यादों से मुझको जोड़ गया
- 'अंदाज'
24.0799
ग़म से रिश्ता हमारा जोड़ गया
क्यों न दिल उसका होके रह जाए
टूटे रिश्ते को कोई जोड़ गया
उसको अहसास भी नहीं इसका
दिल का आईना भी वो तोड़ गया
फख्र था जिसकी हमराही पे मुझे
दो कदम चलके , साथ छोड़ गया
उसका अहसानमंद हूँ 'अंदाज'
अपनी यादों से मुझको जोड़ गया
- 'अंदाज'
24.0799