जिनमें पानी था वो बादल आग बरसाते रहे
लोग नावाकिफ हवाओं की सियासत से रहे
कैसा मैला था कि सारा शहर जिसमें खो गया
घर, गली ,बस्ती, मोहल्ले आज तक सूने रहे
उस पराये शख्स से कैसा अजब रिश्ता रहा
आँख नम उसकी हुयी ,हम देर तक भीगे रहे
तेज आंधी के खिलाफ अपनी जगह कायम थे हम
या ये कह लो हतः धर कर हाथ पर बैठे रहे
एक सपना टूटने का दुःख रहा काफी दिनों
अब ये लगता है बहुत लोगों से हम अच्छे रहे
- नमालूम
लोग नावाकिफ हवाओं की सियासत से रहे
कैसा मैला था कि सारा शहर जिसमें खो गया
घर, गली ,बस्ती, मोहल्ले आज तक सूने रहे
उस पराये शख्स से कैसा अजब रिश्ता रहा
आँख नम उसकी हुयी ,हम देर तक भीगे रहे
तेज आंधी के खिलाफ अपनी जगह कायम थे हम
या ये कह लो हतः धर कर हाथ पर बैठे रहे
एक सपना टूटने का दुःख रहा काफी दिनों
अब ये लगता है बहुत लोगों से हम अच्छे रहे
- नमालूम