Sunday, June 8, 2014

जिनमें पानी था वो बादल आग बरसाते रहे

जिनमें पानी था वो बादल आग बरसाते रहे
लोग नावाकिफ हवाओं की सियासत से रहे

कैसा मैला था कि सारा शहर जिसमें खो गया
घर, गली ,बस्ती, मोहल्ले आज तक सूने रहे

उस पराये शख्स से कैसा अजब रिश्ता रहा
आँख नम उसकी हुयी ,हम देर तक भीगे रहे

तेज आंधी के खिलाफ अपनी जगह कायम थे हम
या ये कह लो हतः धर कर हाथ पर बैठे रहे

एक सपना टूटने का दुःख रहा काफी दिनों
अब ये लगता है बहुत लोगों से हम अच्छे रहे

- नमालूम